वो इत्तेफाक ही था

वो इत्तेफाक ही था
जो उनका हाय बोलके ....बाई बोलके चले जाना 

वो इत्तेफाक ही था 
जो फरबरी की शर्दी में... आँखे भिगो के चले जाना 

वो इत्तेफाक ही था 
जो महीनो के इंतजार के बाद ....मिनटों की मुलाकात करके चले जाना 

वो इत्तेफाक ही था 
जो शरद जोशी के तरह लिखने वाले को ...अमृता प्रीतम जैसा लिखना सीखा देना 

वो इत्तेफाक ही था
जो उनका हाय बोलके ....बाई बोलके चले जाना 


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