सचिन ही क्यों ?






विश्वनाथ आनंद , अभिनव बिंद्रा , मेजर ध्यानचंद को क्यों नही ? मेरे लिए तो यह कोई क्वेश्चन नहीं है पर बहुत लोगो के लिए है भारत रत्न के लिए कोई परफेक्ट मानक तो बना नहीं है की जेसे २७२ संसद लाओ और गवर्मेंट बनाओ , अवार्डी तो कोई समिति से या ऐसे ही चुना जाता है । सचिन मेरे पसंदीदा है और उनको मिला तो में तो बहुत खुश हु बस 

हा
पर मेजर ध्यानचंद के बारे में थोडा पर जितना पढ़ा है उससे लगा की उनको मिलना चाहिए था , भारत रत्न उन्हें दिया जाता है जिसने भारत का नाम उज्जवल किया हो ,ऐसे बहुत दावेदार है पर सबको मिला नहीं ।

 
अब
क्वेश्चन यह  है की सचिन के लिए नियम में बदलाव किये गए क्यों ? वेसे तो हर क्यों , वाय , कायकू का जवाब नहीं होता फिर भी , हमारा संविधान के बारे में नहेरु और अम्बेडकर ने कहा था की नियम ऐसे होने चाहिए की जिसमे उचित बदलाव की समभावना  हो अगर आप नियम को  रिजिड बना देंगे तो सिस्टम मर जायेगा । और हमारे बुजुर्ग भी कहते है की : समय के साथ बदलना चाहिए नहीं तो समय तुन्हे छोडके आगे निकल जायेगा ।

अब  प्रश्न है की बिंद्रा और आनंद को क्यों नहीं
? उन्होंने भी देश का नाम रोशन किया है पर पब्लिक का उनके प्रति जुड़ाव कभी नहीं बन पाया है जबकि सचिन २४ सालो तक पब्लिक से जुड़े रहे है ,पर यह सब का अर्थ यह नहीं है कि बिंद्रा और आनद कि उपलब्धि कम है , उनका भी जोड़ा मिलना मुस्किल है ।

पर वोह इंग्लिश में कहते है न "बेस्ट अमोंग इक्वल "
,जेसे मोदी जी बीजेपी में बेस्ट अमोंग  इक्वल चुने गए वेसे ही सचिन भी आनंद ,बिंद्रा ,मिल्खा सिंह इनमे में बेस्ट अमोंग इक्वल चुने गए है ।

मेने भी बिंद्रा की जित को सेलिब्रेट किया है वोह भी सचिन से भी स्पेशल
, मुझे अच्छी तरह यद् है की जब बिंद्रा ने गोल्ड मेडल जीता तब मेरा कॉलेज का पहला साल था और हम कॉलेज जा रहे थे, हमारी बस ठीक ऐतिहासिक गांधी आश्रम  के पास थी और रेडियो पे न्यूज़ सुनी थिफिर तो क्या होना थजम कर जश्न मनाया गया। । सभि कॉलेज वाले थे बस में । ऐसा माहोल सचिन के लिए भी कुछ कुछ ही बार बन पाया है , शायद २ ही बार - जब सचिन २०११ वर्ल्ड कप के क्वाटर  फाइनल के लिए अहमदाबाद में थे तब और जब भारत वर्ल्ड कप  जीता तब ।

पर वोह सचिन वाला टाच नहीं ही आता।
 सचिन का जश्न तो पुरे २४ साल तक चला हलकी  मेरा जन्म के टाइम सचिन के क्रिकेट में 3 साल हो चुके थे पर जबसे मेने देखा है तबसे जश्न चल ही रहा है , भारतीय लोग सचिन की हर सुख दुःख में सामिल हुए है , सचिन के घायल होने पर दुखी हुए है और सचिन की हर सेंचुरी पे दीवाली मनायी है !

सचिन के बल्ले से निकला शॉट कभी रुका नहीं , रुकी है तो सिर्फ ... कॉलेज के लेक्चर , नेताऔ के भासन , सरकारी दफ्तर में काम , नयी मूवीज कि रिलीज़ और करोड़ो चाहको कि साँसे  और इन के बिच शायद और प्लेयर सेट नहीं होते

और खेल में तो हे ही बहुत अच्छे प्लेयर पर क्रिकेट में भी कोई कम प्लेयर नहीं है सचिन के लेवल के , द्रविड़ , गांगुली , लक्समन , कपिल देव , गावस्कर।  सचिन मेरे पसंदीदा  है पर टेस्ट के हिसाब से द्रविड़ और कप्तानी कि नजर से गांगुली पसंद  है  पर सचिन , सचिन कुछ स्पेशल है मालूम नहीं क्यों पर है , हा सचिन स्पेशल है बस ।



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