कल की कांग्रेस और आज की आम आदमी पार्टी
कल जो लिखा था उसमे सिर्फ 1935 और आज की परिस्थीती की साम्यता ही लिखी थी आज बारी है
"आईडीओलॉजी" की ,
माने केसे आज की “आप” और
कल की कांग्रेस के विचार एक से ही है ।
अगर टाइम हो तो इस लेख को पढ़ेने से पहेले यह दो लेख
पढ़ ले तो पूरा चित्र सही सही समज आ सके :-
1. स्वराज कल , आज और कल - अ स्टोरी ऑफ़ मोतीलाल टू
अरविन्द http://suchak-indian.blogspot.in/2013/12/blog-post_18.html …
…
चलो स्टार्ट
करते है “आप” और कांग्रेस के जन्म से :-
बहुत सारे लोग मानते थे के कांग्रेस को ब्रिटिश रूल ने ही बनाया था “सेफ्टी वाल्व” वाले थियोरी के बेस । वेसे ही आज बीजेपी भी कहे रही है की आप को कांग्रेस ने ही बनाया है मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए , वेसे तो दोनों में से किसी में भी तथ्य नहीं है पर जो आरोप लगते है उनमे साम्यता है ।
बहुत सारे लोग मानते थे के कांग्रेस को ब्रिटिश रूल ने ही बनाया था “सेफ्टी वाल्व” वाले थियोरी के बेस । वेसे ही आज बीजेपी भी कहे रही है की आप को कांग्रेस ने ही बनाया है मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए , वेसे तो दोनों में से किसी में भी तथ्य नहीं है पर जो आरोप लगते है उनमे साम्यता है ।
अब आते है :
एकसाथ सरकार चलना और धरना प्रदशन देने वाले मुद्दे पे :-
जब कांग्रेस ने मिनिस्टर्स ने सपथ ली तभी गांधीजी ने कहा था की “वी शुड होल्ड धिस पोस्ट लाईटली नोट टाईटली” ( हमारे मुख्या लक्ष्य आज़ादी के लिए लड़ना होना चाहिए नहीं की गवर्मेंट चलना ) । तब का तो समय नहीं देखा हमने पर पढ़ा जरूर है , तब सरदार , राजगोपालाचारी , बोस बाबू और भी कही बड़े बड़े लोग ने ऑफिसियल के पद सम्भाले थे पर उन्होंने ज्यादा भार हमेशा स्वतंत्रता की लड़ाई पे ही दिया था (बहुत पढ़ा तो नहीं पर शायद उन्होंने भी सर्कार , रोड से चलाई भी होगी) ।
जब कांग्रेस ने मिनिस्टर्स ने सपथ ली तभी गांधीजी ने कहा था की “वी शुड होल्ड धिस पोस्ट लाईटली नोट टाईटली” ( हमारे मुख्या लक्ष्य आज़ादी के लिए लड़ना होना चाहिए नहीं की गवर्मेंट चलना ) । तब का तो समय नहीं देखा हमने पर पढ़ा जरूर है , तब सरदार , राजगोपालाचारी , बोस बाबू और भी कही बड़े बड़े लोग ने ऑफिसियल के पद सम्भाले थे पर उन्होंने ज्यादा भार हमेशा स्वतंत्रता की लड़ाई पे ही दिया था (बहुत पढ़ा तो नहीं पर शायद उन्होंने भी सर्कार , रोड से चलाई भी होगी) ।
आज वही अरविन्द कर रहे है , क्यों लोग यह नहीं समाज सकते की रोड
पर से भी वेसे ही सर्कार चलयी जाती है जेसे मंत्रालय से चलायी जाती है । कम से कम अरविन्द डेल्ही की सड़क पे से ही
सरकार चला रहे है ना? हमारे तो एमएलऐ है - चुने हुए - वोह तो अपनी पार्टी के लिए किसी प्रदेश के
प्रभारी बन गए है और दूसरे राज्य में ही जा बसे है । वेसे भी जब चुनाव होता है तब मंत्री , मुख्यमंत्री यहाँ तक की पी एम भी २-४ दिन के
लिए बहार ही होते है तब तो कोई प्रश्न नहीं उठता ।
शायद कांग्रेस के लीडर्स जो
मोदी जी को इतियास पे लेक्चर देते है उनको अपना ही 1935 के टाइम का इतियास पधना चाहिए (इसका
यह मतल नहीं है की अरविन्द को सरदार पटेल और बोस से कंपेर कर रहा हु पर हा उनकी और अरविन्द की सोच को तो कपड़े किया ही जा सकता है)
अनार्की :-
अनार्की की कोई यूनिवर्सल
डेफिनेशन तो है नहीं पर इन जनरल हम अफरा -तफरी वाला माहोल को अनार्की कहे सकते
है ।
कल अर्विन्द ने कह कॆ “ हा मे अनार्क हु “ तो हंगामा मच गया :- आज़ादी के टाइम भगत सिंह ,
लाला हरदयाल को भी ब्रिटिश लोग अनार्क कहते थे पर वोह अपनों के लिए
तो कभी अनार्क नहीं थे , उन्होंने ब्रिटिश रूल को कुछ नॉन ट्रेडिशनल
मेथड्स से उखाड़ फेकने की कॉशिश की थी तो ब्रिटिश लोग ने उनको अनार्क कहा और अपनों
ने स्वतंत्र के लड़ाई लड़ने वाले हीरो के तौर पे देखा ।
और आज की ही बात कर लीजिये देश के किस भाग में नहीं फैली हुयी है अफरा तफरी , मेरे १ अंकल है जो 15 साल से हैदराबाद में रहे रहे थे वहा तेलंगाना की हरताल के चलते पूरा धंधा चौपट हो गया और वापस आ गए गुजरात क्या यह नहीं है अनार्की ? वहा कश्मीर में युथ के पास जॉब या रोज़गार की तक नहीं है , नॉर्थ ईस्ट का तो हाल ही किसी को नहीं पता - ३-३- महीनेतक पेट्रोल , गैस नहीं पहुचता वहा , क्या यह नहीं है अनार्की ?, अरे आपके कॉर्पोर्टेस भी अब विदेश में निवेश कर रहे है जो की साफ़ साफ़ दिखाता है की पुरे देश में कही भी उनका इन्वेस्टमेंट सेफ नहीं है , क्या यह नहीं है अनार्की ?
और आज की ही बात कर लीजिये देश के किस भाग में नहीं फैली हुयी है अफरा तफरी , मेरे १ अंकल है जो 15 साल से हैदराबाद में रहे रहे थे वहा तेलंगाना की हरताल के चलते पूरा धंधा चौपट हो गया और वापस आ गए गुजरात क्या यह नहीं है अनार्की ? वहा कश्मीर में युथ के पास जॉब या रोज़गार की तक नहीं है , नॉर्थ ईस्ट का तो हाल ही किसी को नहीं पता - ३-३- महीनेतक पेट्रोल , गैस नहीं पहुचता वहा , क्या यह नहीं है अनार्की ?, अरे आपके कॉर्पोर्टेस भी अब विदेश में निवेश कर रहे है जो की साफ़ साफ़ दिखाता है की पुरे देश में कही भी उनका इन्वेस्टमेंट सेफ नहीं है , क्या यह नहीं है अनार्की ?
Bhagat singh ( Write in kirti , A Punjabi periodical ) : The people are scared of the word anarchism. The word
anarchism has been abused so much that even in India revolutionaries have been
called anarchist to make them unpopular.”
Anarchism according to bhagat singh : The ultimate goal of Anarchism is complete independence,
according to which no one will be obsessed with God or religion, nor will
anybody be crazy for money or other worldly desires.
Vedic Anarchism deals with balance of powers,
non-hierarchical and decentralized polity, community living, and ecologically
sustainable lifestyles through its varna, ashrama,
dharma, and Janapada systems.
आज भी अरविन्द को देखते लगता है की वोह भी पैसे , परिवार , पावेर सबसे परे हो
गए है और पूरा फोकस स्वराज पे है ।
कुछ लोग अरविन्द को आज का एंग्री यंग मेन कहते थे ( जो लोग बच्चान को १९७० के
दुआर में कहते थे ) . लगता है अरविन्द भी
यही डाइलोग फॉलो कर रहे है : अगर रास्ते की फिकर करूँगा तो मंजील बुरा मान
जायेगी , मजिल है स्वराज ।
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