सिविल सर्विस डे के पावन अवसर पर कोरोना पे फुटबॉल खेलती नौकरशाही की एक झलक
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The cases are rising quite rapidly. What is causing this
spurt?
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Municipal Commissioner Ahmedabad
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निति आयोग के वाईस
प्रेजिडेंट अपने ट्वीट्स में लॉक डाउन को सफल बताते है । ट्वीट्स
में आप कोरोना के नंबर्स
की तुलना करो इटली और अमेरिका के साथ करते हो तो वह सफल दीखता भी है। यह अफसर लोग की
खासियत होती है की वह आपको उतनी ही इनफार्मेशन
देते है जो उनके कार्यो को सफल दिखा सके । तो फिर यह मेरे
जैसे लोगो का काम होता है की में आपको सिक्के का दूसरा पहलू भी दिखा सकू ।
अहमदाबाद
मुन्सिपल कमिश्नर की बात से आपको इतना तो समज आ ही गया होगा की आप जितने ज्यादा
टेस्ट करते हो, पॉजिटिव टेस्ट
आने की संभावना उतनी बढ़
जाती है । आप १०० ही टेस्ट करोगे तो पॉजिटिव की संख्या १०० से ज्यादा तो नहीं ही
आएगी न ! यह समझने के लिए आर्यभट्ट बनने की जरुरत तो है नहीं । भारत प्रति १० लाख व्यक्ति पे
३०० टेस्ट कर रहा है जब की इटली १६००० और अमरीका ८०००। अगर निति
आयोग के वाईस प्रेजिडेंट को सही तुलना करनी हो तो
पहले इटली की तरह प्रति १० लाख पे १६००० टेस्ट करने चाहिए ।
अब दूसरी बात पे आते है ...
जिस देश ने तालाबंदी किया हो उस देश में कोरोना की स्थिति की तुलना ऐसे देश से करना की की जिस देश ने तालाबंदी न की हो वह बेजीकली मानसिक दिवालियापन है । वाईस प्रेजिडेंट साहेब ने ट्वीट की शरुआत में ही "ग्रेट" लिख दिया है तो उनको याद दिलाना बनता है की उनकी अफशरशाही ने तालाबंदी को कैसे हैंडल किया है । अमेरिका ने १,००,००० डॉलर से कम की वार्षिक आवक वाले हर नागरिक को ८४,००० रुपया प्रति माह का पैकेज दिया है और आपने क्या दिया है ? अमरीका में किसी बच्ची का पिता पैदल चलते चलते मर गया है क्या ? आप ने ग्राफ के ज़रिये हिसाब किताब कर ही दिया है तो जरा यह भी बताईये की उस बच्ची के आंसू की क्या कीमत लगायी जिसका पिता दिल्ली से पैदल मुरैना पहुंचते-पहुंचते मर चुका था ?
मुझे मालूम है की आपके पास कोई जवाब नहीं है । अब तीसरी बात पे आते है ...
रवीश कुमार
एनडीटीवी वाले बोलते रहते है ना की आपको न्यूज़
पेपर ठीक से पढ़ना चाहिए क्युकी यह न्यूज़ पेपर नेता लोग का प्रोपोगंडा का मशीन बन
गया है । ठीक वैसे
ही अफशर लोगो के ट्वीट्स को भी ध्यान से पढ़ना चाहिए । अफसर के ट्वीट को पढ़े तो आपको ख्याल
आना चाहिए की उन्होंने तुलना के लिए सिर्फ इटली और अमरीका को ही क्यों चुना और
दक्षिण कोरिया या ताइवान को नहीं चुना ? जैसे ही आप यह पढ़ेंगे आपको लाइट हो ही जाएगी की उन्होंने ऐसा क्यों किया । जवाब आसान है क्युकी कोरिया और ताइवान ने कोरोना को भारत की तुलना में बहेतर कण्ट्रोल किया है । भारत में पहला कोरोना केस ३० जनवरी को सामने आया जब की दक्षिण कोरिया में २० जनवरी आया था । तब से लेके आज तक कोरिया में सिर्फ 11000 केसेस हे दर्ज हुए है जब की हमारे यहाँ 19000 । याद रहे कोरिया ने भारत से कही ज्यादा टेस्ट किये है ।भारत में कोरोना के 19000 केसेस है और रिकवर 3000 हुए है जब की कोरिया में केसेस 11000 है और रिकवर ८००० हुए है ।
अफसर लोग अपने आप को सफल दिखाने के लिए तुलना अमरीका और इटली से कर रहे है। ३ तारीख के बाद तालाबंदी खुलेगी तब भगवान न करे की केस बढे पर उसकी संभावना तो है ही...अगर केस बढे तो अफसर क्या बोलेंगे ? वह गोल पोस्ट चेंज कर देंगे जैसे अहमदाबाद मुन्सिपल कमिश्नर ने किया है और बोलेंगे की केस इस लिए बढ़ रहे है की हम टेस्ट पहले से ज्यादा कर रहे है । सिविल सर्विस डे के पावन अवसर पर मेरी अफसर लोगो से इतनी ही बिनती
है की वह समजे की हम जनता है न की फुटबॉल
और आप कोरोना जैसी गंभी समस्या से खेल रहे हो न की फूटबाल सो प्लीज कृपा करे और
अपने आप को सफल दिखाने के लिए गोल पोस्ट चेंज करने वाला खेल न खेले । जनता जो ४० दिन के तालाबंदी जैसे कठिन फैसले में आपके साथ खड़ी रही वह आगे भी आपको देश हित के हर काम में सहयोग देगी ही। आप जनता को सही सही जानकारी दे , आपकी बड़ी कृपा होगी ।
बहुत सुंदर विश्लेषण किया हैं ; नौकरशाह चोर होते हैं ।
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