BJP Parliamentary Board discussed a glimpse ...

कार्यसूची :- हंगामा है क्यूँ बरपा...

आडवाणी :-

मायूस तो हूं वायदे से तेरे, कुछ आस नहीं कुछ आस भी है.
मैं अपने ख्यालों के सदके, तू पास नहीं और पास भी है.

दिल ने तो खुशी माँगी थी मगर, जो तूने दिया अच्छा ही दिया.
जिस गम को तअल्लुक हो तुझसे, वह रास नहीं और रास भी है.

मोदी :-

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आस्माँ नहीं मिलता

बुझा सका ह भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता


कल्याण सिंह :-

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूबकर सुनते थे सब किस्सा मुहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा

राजनाथ :-

अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये

जसवंत सिंह :-

कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

अटल बिहारी उसकी लाइनों के हवाले से -

बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा।

नितिन गडकरी :-

राजनीति में यहां हर किसी ने ही प्यारे, कुछ गंवाया है तो काफी कुछ पाया है


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