पारेख का पीएम को ख़त


चोरी बाज़ारी दो नैनो की
पहले थी आदत जो हट गई

पब्लिक की तो फिकर कहाँ थी
कॉर्पोरेट्स भी अब चिंता बढ़ गई

तू भी तू है
में भी में हूं
सीबीआई साली देख उलट गयी
तू ना जाने में ना जानू
कैसे सारी बात पलट गई

घटना ही था यह भी गोटाला
घटते घटते लो यह घट गया

आहा चोरी बाज़ारी दो नैनो की
पहले थी आदत जो हट गई

आरोप तुज्पे लगाना है ,
जेल जाने से डरता हु
हाँ भूल गया अब तुझपे दिन में चार दफ़ा आरोप लगाना है

कुर्सी की खुमारी उतरी सारी
बातों की बदली भी छ्ट गयी

एक हुए थे दो से दोनो
दोनो की एब्ब राहें कट गयी

अब कोई फिकर नही , गम का भी ज़िक्र नही
हाँ होता हूं में जिस खान पे , आए खुशी वोहीं

तू ना बदली में ना बदला
सीबीआई सारी देख बदल गई

एक एफआईआर में दुनिया दारी की मैं
सारी समझ निकल गई

हाँ काले रंग का कोलसा देखके
सीधा साधा सरदार बिगड़ गया

चोरी बाज़ारी दो नैनो की
पहले थी आदत जो हट गई

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