स्वर्ग में हमारे "फाधर ऑफ़ ध नेशंस " कि मीटिंग कि १ ज़लक



मंगल पाण्डेय सरदार से : सरदार  आप तो छाये हुए हो आज कल  , जहा देखो वह सिर्फ आपके ही चर्चे है

सरदार : पाण्डेय जी जोड़ो न भी अब
, मेरे यहाँ आने के ६3 साल बाद यद् आयी है इनको , मेरी बेटी कि भी केअर नहीं कि किसी ने 

पाण्डेय : पर क्या वाकही में तुम पी एम बनाना चाहते थे ?
, मुझे पता नहीं है क्युकी में तो वोह टाइम में ही  यहाँ स्वर्ग में ही था न

सरदार : में सिर्फ देश बनाना चाहता था। ..

पाण्डेय : पर आज तो आप पर कांग्रेस  और बीजेपी दोनों ही आपके विरासत के लिए  बात कर रही है

सरदार : आज के अखबार में ही दिखा
, यह कांग्रेस वालो ने मरे से दो गुनी बड़ी पिक्चर इंदिरा कि  अख़बार में छपाई है और रही बात बीजेपी कि तो उन्हें १ बड़ा नाम चईये वोट के लिए

(इंदिरा उतने में उनका नाम सुनकर आ जाती है )

इंदिरा : मेरी बहु कि सर्कार है तो मेरा एडवरटीजेमेंट तो बड़ा ही होगा न चाचा (सरदार)

सरदार : हा तो इंदिरा में भी तो वोही कहे रहा हु न की आज़ादी से पहेले वाली और आज कि कांग्रेस में
बहुत फर्क है

(उतने में ही बात को दबाने के लिए नहेरु आ गए)

नहेरु : सरदार यह तेलंगाना का हल केसे आएगा
?

YSR : वोह तो जगन संभल लेगा

सरदार : लिजिये।तेल्नगन का तो हो गया अब कश्मीर का सोचिये क्या होगा ?

अब्दुल्लाह : वोह आप मेरे बेटे और पोते पे छोड़ दीजिये

(मंगल पाण्डेय फिर से चर्चा में )

यह सब छोड़िये यह तो में जानता  ही हु कि आपके बेटे
, दामाद , सासु, बहु , बतीजा क्या कर रहे है

मंगल पाण्डेय  : सरदार प्लीज मुझे तोडा डिटेल बताओ न इस टॉपिक पर


सरदार : सर , आप तो पॉलिटिक्स का कुछ ही नहीं पता। ।आप तो बहुत पहेले यहाँ आ चुके थे। ‌अमरे टाइम पे भी पॉलिटिक्स होती थी पर इतनी ज्यादा भी नहीं

मेरी विरासत का तो हो गया पर में उस टाइम का इंतज़ार करता हु जब कोई सुभाष कि विरासत के बारे में बात करेगा

वोह था तो कांग्रेसी
, पर ऐकले हाथो लड़ा अंग्रेजो से , यह कांग्रेसी तो खुद को भी सुभाष का वारसदार बता  दे वोट के लिए

सुभाष : मुझे और मेरी भावनाओ को न तो कोई समाज पाया था न ही समज पायेगा

सिर्फ मेरी ही नहीं
, यह आज के नेता तो आप मेसे किसी कि भी सोच को फॉलो नहीं कर सकते

बाबा साहब को ही ले लीजिये... उन पर तो १ पार्टी ने कॉपीराइट्स ले रखे हो ऐसा  लग रहा है।

बाबा साहब : मेने आरक्षण को १ तरीके के नजरिये से उपयोग किया था और इन्होने तो आरक्षण को १ नतीजा ही बना लिया है वोट के लिए

लोहिया : सही  कहे रहे है बाबा साहेब आप
, और सबसे ज्यादा क्लेम तो मेरे वारिसदार होने पे ही किये जा रहे है

में पूरी ज़िन्दगी सिम्प्लिसिटी के लिए और परिवारवाद के खिलाफ लड़ा और आज १ करोड़ कि गाड़ी में और बेटा - पापा - चाचा - बहु से भरी हुई पार्टी मेरे वारिसदार होने का दवा कर रही है

(उतने में ही पाण्डेय गांधीजी को यद् करते हुए )

सरदार : उनकी तो कौन परवाह करता है
, वोह आज़ादी के लिए सबसे ज्यादा लड़े लेकिन आज़ादी के टाइम पर भी किसी को फिकर नहीं थी कि गांधी कहा है , और आज  भी नहीं है

लोगो को फिकर होती है सिर्फ गांधी कि तस्वीर छपी नोट पर

गांधी तो "फाधर ऑफ़    नेशंसहै पर यह लोग उनके नाम का उपयोज जस्ट डायल कि तरह कर रहे है
, कभी भी , कही भी , किसी  के भी लिए

गांधी : सरदार गुस्सा मत हो
, अगर मेरे नाम का गलत उपयोग करके भी किसी का अच्छा हो रहा है तो होने दो



निष्कर्ष
: हमारे नेता औ में मतभेद जरुर थे पर मनभेद नहीं था , सब कि सोच एक अच्छे भारत  निर्माण कि ही थी पर तरीके अलग थे

 









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