“आधार” ही ऑक्सीजन है




जैसे बिना सांस के जीवित रहना असंभव है वैसे ही कुछ दिनों  में भारत में बिना आधार कार्ड के रहना असंभव होने वाला है । आधार को ऑक्सीजन के रूप में पेश किया जा रहा है की जैसे वह कार्बन रूपी करप्शन मिटा देगा  और आपको गुड गवर्नेंस का अच्छा क्लाइमेट मिलेगा।यह आपको कोई नहीं बताता है की यही आधार एक क्लोरो फ्लोरो कार्बन है जो आपके प्राइवेसी रूपी ओजोन कवर में छेद कर सकता है ।  आधार  बिल को मनी बिल के तौर पे पास करवा लिया , थोड़ा बहुत विरोध भी हुआ सरकार का पर फिर से डिस्कोर्स अकबर और गुरुग्राम पे चला गया 

यह इस लिए लिख रहा हु की पिछले दिनों में एक गज़ब का विचार सरकार की और से रखा गया पर शायद ही किसी के ध्यान में आया हो   मोदी सरकार के २ साल पुरे होने के जश्न में शिक्षा  मंत्री ने अस्मिता को अपने कार्यकाल की उपलब्धि गिनायी  अस्मिता”  माने  All School Monitoring Individual Tracing Analysis । अभी तक कोई ऑफिशल अनाउंसमेंट नहीं हुआ है पर कई अख़बार में  इस्पे खबर छपी है । Indian Express - HRD Ministry to launch student tracking system

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अस्मिता”  के द्वारा सरकार कक्षा१ से लेकर कक्षा १२ तक के सभी बच्चों का ट्रैक रिकॉर्ड रखेंगी जिसमे अटेंडेंस, मार्क्स , मिड डे मिल वगेरा वगेरा का डेटा होगा । इस्पे एक स्वाभाविक सवाल उठता है की इतना बड़ा डेटा कैसे रखा जायेगा तो जवाब है की आधार कार्ड से ।

आधार अधिनियम के अन्तर्गत सरकारी योजना  का लाभ लेने के लिया आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है । यह सच है की सरकारी स्कूल सरकार चलती है , मतलब एक तरह की सब्सिडी ही हुयी पर यह भी याद रखना होगा की पढ़ने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है ।

The Supreme Court in 1974 elaborated the doctrine of unconstitutional conditions in Ahmedabad St Xavier’s College v State of Gujarat . “ Unconstitutional Conditions” mean government cannot condition receipt of public benefits on waiver of fundamental rights. कई लोगो ने इस जजमेंट को लेकर आधार बिल को कोर्ट में चुनौती दी है और राइट तो प्राइवेसी को आधार बनाया है , यह मामला अब कोर्ट के सामने है की राइट तो प्राइवेसी फंडामेंटल राइट है की नहीं ?

अस्मिता  के मामले में तो खुले तौर पे स्पष्ट है की पढ़ने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है । Ahmedabad St Xavier’s College v State of Gujarat में यह साफ़ हो गया था की सार्वजनिक लाभ पाने के लिए मौलिक अधिकारों को छोड़ना  अनिवार्य नहीं बन सकती यहाँ मामला उलट है और स्पष्टभी नहीं है की क्या कोई सरकार मौलिक अधिकारों पाने के लिए आधार नामक शर्त लगा सकती है और वह भी संविधान में बदलाव किये बिना ?

यह सब टेक्निकल बाते अलग मसाला है पर बड़ा मसला यह है की क्यों सरकार आधार कार्ड पे इतना जोर दे रही है ।  इसे हम सबको समजना होगा ।  दुनिया भर में डेटा पे चर्चा है ।  डेटा का मूल्य २१ वि सदी में उतना ही जितना १६ वी सदी में कपडे का था और २० वि सदी में ओ तेल का    आज के समय में यह कहना  होगा की जिसके पास डेटा भेस भी उसकी।  डेटा से क्या क्या किया जा सकता है यह आपको पढ़ना होगा और अपने ही लिया पढ़ना होगा ।

जब आप समझगे के डेटा क्या है और उससे क्या क्या  तभी आप समाज पाएंगे की सरकार आधार पे , स्मार्ट सिटी पे , ऑनलाइन एप्प पे इतना खर्च और प्रचार क्यों कर रही है ।  इसका यह मतलब नहीं है की डेटा गलत चीज़ है , अगर इसका सही सही उपयोग किया जाये तो उससे कही चीज़ आसान हो सकती है और बहेतर भी बनायीं जा सकती है पर यह सब निर्भर करता है नियत पे जिसके पास डेटा हो।  यह आधार  और डेटा का मसला सिर्फ भारत में ही नहीं है , पूरी दुनिया में इसपे चर्चा हो रही है और चर्चा होनी भि चाहिए ।


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