Adavani Write to modi _ Leaked




न बोले तुम ना मैंने कुछ कहा
मगर न जाने ऐसा क्यों लगा
के गोआ खिला हैं चाँद, दिल्ली में रात हो गयी
के फ़ोनकी बिना कहे सुने ही बात हो गयी

बदल रही हैं भाजपा, बदल रहे हैं हम
थिरक रहे है, जाने क्यों आज मेरे कदम
किसी को हो ना हो मगर हमे तो हैं पता

घुली सी आज साँसों में किसी की सांस है
ये कौन आज के मेरे कैंप आसपास है
ये धीरे धीरे हो रहा हैं कुर्सी का नशा

ये लग रहा हैं सारी उलझने सुलझ गयी
ये धड़कनों की बात, धड़कने समझ गयी
ना बोलिए के बोलने को कुछ नहीं रहा

~ तुम्हारा आडवाणी , संसद सदस्य, गांधीनगर


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