मार्केट का महाभारत








महाकवि श्री मनमोहन की आरती  सब ने है उतारी,
जिनकी लेखनी से यह निकला महाकाव्य

1991 की यह बात है, 
पुरे विश्व में विख्यात है

दलाल स्ट्रीट नाम की थी यहाँ एक नगरी,
जिसमे गुज्जु वंसी होल्डर्स का राज था
जिसके राजा धीरूभाई पर प्रजा को नाज़ था
इस कथा में जोर है , आंधियो का शोर है

चिंदु-मोंटेक का पराक्रम , रुपया की है व्यथा
जिसने दी भारत को मार्केट की कथा , वोह महाभारत कथा २.०  

आर बी आई का उपदेश है , 
मानता  सब देश है,

चिंदु-मोंटेक का पराक्रम , रुपया की है व्यथा
जिसने दी भारत को मार्केट की कथा  , वोह महाभारत कथा २.०  

ऐ आशा जगाने वाले , कहा छुपे हो मनमोहन मुरार , 
पुरे देश की रूपी , भरे बाज़ार में करे पुकार  
अर्थशात्री बने जुआरी , जूठे व्याख्यानों पर अड़ गए , 
कांग्रेसी औ   की अक्कल पर हाय पत्थर पड़  गए

देश की इकॉनमी पर बोज यह चड़ने लगा , 
महाभारत में प्रलय  का यह बीज पड़ने लगा  

सेंसेक्स  चड़ता  है , सोना उतरता है  सोना उतरता है , सेंसेक्स चड़ता  है  
पर आम आदमी का तो दुःख से दुख का नाता है 
लिखा भाग्य का कभी न टला था , मार्केट  क्रेश होता है ,
देख आम आदमी का दुःख आश्मान भी रोता है

चिंदु-मोंटेक का पराक्रम , रुपया की है व्यथा
जिसने दी भारत को मार्केट की कथा  , वोह महाभारत कथा २.०  

मार्केट की है यह कहानी , सदीओ से पुराणी  है 
ये आमदनी की है गंगा  सेन-भगवती  अमर वाणी ,

महाभारत2.0 …महभरत 2.0  ।ओ.ओ ओ


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